Shaitan | शैतान | Evil

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Shaitan | शैतान - the belief

ऐसा विश्वास किया जाता है कि शैतान शुरू से ही बुरी आत्मा नही था। किसी समय में उसने खुदा की बडी इबादत की थी। जितनी और जैसी इबादत उसने की खुदा की, शायद ही किसी ने की हो। वो एक अच्छी आत्मा था। खुदा को बडा जानने और मानने वाला था।

The reason, he became Shaitan

शैतान
आखिर फिर ऐसा क्या हुआ कि वो खुदा का दुश्मन बन गया। धर्म के अनुसार इसका कारण था अहंकार और समय के अनुसार इसका कारण था अन्नाय। धर्म के अनुसार, परमेश्वर के आदेश का पालन न करना, उसका अहंकार था, और इसी के कारण उसे स्वर्गिक सुखों से वंचित कर दिया गया। यह परमेश्वर के द्वारा उस पर की गयी दंडात्मक कार्रवाई थी। शैतान के अनुसार, उस समय, उसके साथ अन्नाय हुआ और इसी कारण वो खुदा का दुश्मन बन गया।

Enmity with the Man

उसके मुताबिक, जिस कारण इस कायनात में उसे खुदा से अपमान सहना पडा, वो कारण था इंसान। बदले की भावना से भरे हुए, शैतान ने ये तय कर लिया कि वो भी खुदा से अपना बदला लेगा। जिस इंसान के कारण उसे सृष्टि में परमेश्वर से अपमान सहना पडा, वो उस इंसान को खुदा कि राह से भटकाएगा, उससे गुनाह कराएगा और उसे परमात्मा के खिलाफ़ कर देगा। इंसान को कभी भी चैन से जीने नही देगा। इंसान को तबाह कर देगा। इंसान की ये तबाही, खुदा पर उसकी जीत होगी। इससे परमात्मा अपमानित होगा और शैतान का खुदा से बदला पूरा होगा। शैतान अपने इसी मकसद को पूरा करने में लगा रहता है।

His powers and the action

शैतान, बुराईओं का राजा है। इंसान के मुकाबले, शैतान अत्यंत शक्तिशाली है। उसके पास अनेक अपार ताकतें हैं, जिन पर कोई साधारण मानव विजय नही पा सकता। इस दुनिया की सभी बुराईयां, उसकी ताकत है। हर बुरा विचार उसकी ताकत है। हर बुरी इच्छा उसकी ही माया है। अपनी ताकत से वो इंसान के दिलों-दिमाग पर कब्ज़ा करता है। उसमें बुरी इच्छाएं पैदा करता है। इन्हीं बुरी इच्छाओं के आधीन होकर इंसान बुरा बनता है। पथभ्रष्ट हो जाता है और इस तरह इंसान का पतन हो जाता है। इंसान का सब कुछ खो जाता है। उसका सत्यानाश हो जाता है। वो नेस्तोनाबुत हो जाता है। वो पापी आत्मा बनकर परमात्मा के द्वारा दंड का भागी बनता है और परमात्मा के द्वारा उसे दंड भोगना पडता है।

The Fact

वास्तव में, इंसान को परमात्मा के द्वारा दंड दिलवाकर, शैतान खुद को इंसान से बडा साबित करता है। इससे परमात्मा का अपमान होता है और यही शैतान का मकसद है। ध्यान दें कि यहां इंसान का तात्पर्य पूरी मानव जाति से है जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों शामिल हैं। इसलिए शैतान, इंसान जाति के नर और नारी दोनों को अलग अलग तरीके से भटकाता है। ये भटकाव ही बुराई है। शैतान की माया को नीच कर्मों की माया कहते हैं क्योंकि यह इंसान को नीच कर्म के लिये प्रेरित करती है।  इसी से बचना है।

The only way to escape from evil

शैतान से बचने का केवल एक ही रास्ता है और वो है परमात्मा की उपासना। खुदा की इबादत। इंसानियत सबसे बडा धर्म है। आप जिस भी धर्म में जन्में हैं, अपने-अपने धर्म के अनुसार परमात्मा की पूजा करें। खुदा की इबादत करें। ध्यान दें कि परमात्मा एक ही होता है, अनेक नही। देवी-देवता, पीर-पैगम्बर, संत, गुरू, महातमा या अनन्त-कोटि सिद्ध आत्माएं, परमेश्वर के सेवक मात्र है। परमात्मा ही सर्वोच्य है। उससे बडा कोई नही। इसलिए परमात्मा की शरण में रहिए और खुद का कल्याण किजिए। परमधाम के वासी बनिए।

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